Quantum Key Distribution युग की ओर भारत का बड़ा कदम! साइबर अपराध, जासूसी और डाटा चोरी जैसी चुनौतियों के दौर में भारत ने विज्ञान की सबसे उन्नत तकनीक — क्वांटम कम्युनिकेशन — में बड़ी छलांग लगाई है। अब भारत भी उन गिने-चुने देशों की कतार में आ खड़ा हुआ है, जो इंटरनेट को अटूट और अपराजेय बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
DRDO और IIT दिल्ली ने मिलकर ऐसा कमाल कर दिखाया है, जिससे अब भारत में free-space में भी Quantum Key Distribution (QKD) संभव हो गया है — वो भी बिना केबल या फाइबर के, सिर्फ हवा के ज़रिए।
क्या है ये ऐतिहासिक सफलता?
- दिनांक: 16 जून 2025
- स्थान: IIT दिल्ली कैंपस
- तकनीक: Quantum Entanglement आधारित Free-Space QKD
- दूरी: 1 किलोमीटर से अधिक
- Speed: ~240 bits प्रति सेकंड की Key Generation Rate
- Error Rate: <7% Quantum Bit Error Rate (QBER)
इस प्रयोग में दोनों सिरों पर रखे उपकरणों के बीच entangled photons के माध्यम से सुरक्षा कुंजी (security key) का आदान-प्रदान किया गया — वो भी खुले वातावरण में, बिना किसी वायर या ऑप्टिकल फाइबर के।
Quantum Entanglement क्या है?

क्वांटम एंटैंगलमेंट एक ऐसी अद्भुत अवस्था है, जिसमें दो फोटॉन्स (प्रकाश कण) एक-दूसरे से इस तरह जुड़े होते हैं कि भले ही वे लाखों किलोमीटर दूर हों, एक पर असर डालने से दूसरा भी उसी क्षण बदलता है।
इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा ये है कि अगर कोई तीसरा व्यक्ति उस कनेक्शन को सुनने की कोशिश करता है — तो फौरन पता चल जाता है कि चैनल में घुसपैठ हुई है।
🇮🇳 भारत के लिए क्यों है यह सफलता अहम?
- Quantum सुरक्षा की नींव रखी गई: अब भारत में बिना केबल के भी अटूट और जासूसी-रोधी कम्युनिकेशन संभव होगा
- मिलिट्री और नेशनल कम्युनिकेशन में क्रांति: फील्ड में तैनात डिवाइस, बेस स्टेशन या युद्धक विमानों के बीच पूरी तरह सुरक्षित जानकारी भेजी जा सकेगी
- Quantum Internet की दिशा में पहला कदम: यह सफलता भारत के आने वाले Quantum Internet और Satellite-based Quantum Key Distribution प्रोजेक्ट्स का आधार बन सकती है
- मेक इन इंडिया की जीत: ये पूरी तकनीक स्वदेशी रूप से विकसित की गई है
आगे का रोडमैप क्या है?

- आने वाले वर्षों में इस तकनीक को 10+ किमी और फिर 100+ किमी तक फ्री-स्पेस में टेस्ट किया जाएगा
- ISRO और DRDO मिलकर satellite-based QKD मिशन पर भी काम कर रहे हैं
- भारत का लक्ष्य है कि 2027 तक पहला स्वदेशी Quantum Secure Communication Network बना लिया जाए
निष्कर्ष: साइबर सुरक्षा का भविष्य यहीं से शुरू होता है
DRDO और IIT दिल्ली की ये ऐतिहासिक सफलता सिर्फ एक वैज्ञानिक प्रयोग नहीं, बल्कि भारत की डिजिटल सुरक्षा और संप्रभुता की दिशा में एक मजबूत कदम है। Quantum Key Distribution तकनीक आने वाले समय में साइबर हमलों को पूरी तरह से बेअसर बना सकती है — और भारत इस रेस में अब किसी से पीछे नहीं।
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राज प्रजापति, TrickyKhabar.com के संस्थापक और CEO हैं। वे एक अनुभवी कंटेंट राइटर भी हैं, जो टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल, एंटरटेनमेंट और डिजिटल ट्रेंड्स पर रिसर्च-बेस्ड, सरल और यूज़र-फ्रेंडली लेख लिखते हैं। राज का मानना है कि खबरें तभी असरदार होती हैं जब वे सटीक, साफ़ और समझने लायक हों। पिछले 3+ वर्षों से वे SEO और डिजिटल मीडिया में सक्रिय हैं।