Ground Zero Movie Review: इमरान हाशमी की सधी हुई थ्रिलर, धीमी जरूर है लेकिन असरदार है!
कास्ट: इमरान हाशमी, साई तम्हणकर, ज़ोया हुसैन
निर्देशक: तेजस प्रभा विजय देओसकर
रेटिंग: ★★★ (3/5) {सोर्सेज}
परिचय: सही समय पर आई एक सच्ची कहानी
‘ग्राउंड ज़ीरो’ का रिलीज़ एक ऐसे वक्त में हुआ है जब देश जम्मू-कश्मीर में हुए हमलों से दुखी और आक्रोशित है। ऐसे माहौल में जब एक फिल्म कश्मीर की अस्थिरता, आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष और भारतीय सुरक्षा बलों की बहादुरी को पर्दे पर दिखाती है, तो इसका असर गहरा होना तय है।
ये भी पढ़े: Wednesday Season 2: टीज़र आज होगा रिलीज़, जानें रिलीज़ डेट, कास्ट और सभी अपडेट्स
फिल्म की कहानी: एक मिशन, एक जज़्बा

फिल्म की कहानी BSF अधिकारी नरेंद्र नाथ धर दुबे (इमरान हाशमी) पर केंद्रित है, जो 2000 के दशक की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर में सक्रिय ‘पिस्टल गैंग’ और एक खूंखार आतंकवादी राणा ताहिर नदीम उर्फ गाजी बाबा को पकड़ने के मिशन पर निकले हैं। लेकिन तभी 2001 की संसद हमले की खबर आती है और पूरा ध्यान उस ओर चला जाता है। इसके बाद एक और हमला होता है और कहानी और तेज़ हो जाती है।
स्क्रीनप्ले तेज है, घटनाएं एक के बाद एक घटती हैं और दर्शक कहानी में पूरी तरह डूब जाता है। असली फुटेज और घटनाओं पर आधारित फिल्म में देशभक्ति का एक वास्तविक स्पर्श देखने को मिलता है।
लेखन और निर्देशन: सच्चाई और संवेदना का मेल
फिल्म की कहानी संचित गुप्ता और प्रीयदर्शी श्रीवास्तव ने लिखी है और इसमें प्रोफेशनल और पर्सनल जीवन के बीच का संतुलन बखूबी दिखाया गया है। किस तरह से युवाओं को धर्म के नाम पर गुमराह किया जाता है, इस पहलू को भी संवेदनशीलता से छुआ गया है। हालांकि फिल्म थोड़ी लंबी लगती है और एडिटिंग को थोड़ा बेहतर किया जा सकता था, लेकिन कहानी में एक जुड़ाव बना रहता है।
ये भी पढ़े: OpenAI की बड़ी मंशा: क्या Google Chrome पर कब्जा करेगा ChatGPT का मालिक?
प्रदर्शन: इमरान हाशमी का अलग अवतार
इमरान हाशमी इस फिल्म में अपने करियर के सबसे अलग और गंभीर किरदार में नजर आते हैं। वो एक जिम्मेदार अफसर की भूमिका में ईमानदारी से उतरते हैं, हालांकि कुछ इमोशनल और एंगर वाले सीन्स में थोड़े और गहराई की जरूरत थी। साई तम्हणकर उनकी पत्नी के किरदार में सटीक हैं। ज़ोया हुसैन एक इंटेलिजेंस ऑफिसर के रोल में दमदार सपोर्ट देती हैं। वहीं मुकेश तिवारी ने भी गंभीर रोल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
रियलिज्म और रिसर्च: फिल्म की असली ताकत

फिल्म में बीएसएफ की वर्दी, ऑपरेशन्स और टैक्टिक्स को रियलिस्टिक तरीके से दिखाया गया है। इसके पीछे कई उच्च अधिकारियों की सलाह और रियल रिसर्च साफ दिखती है, जो फिल्म को एक प्रामाणिकता देती है।
फाइनल वर्डिक्ट: सही समय, सही सिनेमा
Ground Zero Movie Review: ‘ग्राउंड ज़ीरो’ एक सशक्त फिल्म है जो मौजूदा हालात में और भी ज्यादा प्रासंगिक लगती है। इसमें किसी तरह की ज़बरदस्ती की देशभक्ति नहीं है, बल्कि एक जिम्मेदार कहानी है जो सोचने पर मजबूर करती है। थोड़ी धीमी जरूर है, लेकिन इसका असर अंत में महसूस होता है।
डिस्क्लेमर: यह रिव्यू केवल सूचना और मनोरंजन के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें व्यक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं और ट्रिकी खबर का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है। यह किसी राजनीतिक विचारधारा या संगठन को समर्थन नहीं देता।
ये भी पढ़े:
- iPhone 17 Pro में मिल सकता है नया Sky Blue कलर ऑप्शन, लॉन्च से पहले लीक हुई डिटेल्स
- TMKOC Cast Fees: जानिए जेठालाल से लेकर बबीता जी तक, ‘तारक मेहता’ के सितारों की एक एपिसोड की कमाई
- Husqvarna Svartpilen 401: रेट्रो स्टाइल और रफ्तार का जबरदस्त संगम, जहां से गुजरेगी सबकी नजर ठहर जाएगी
Our team is passionate about delivering content you can trust. Each article is written with a deep commitment to accuracy and thorough research, ensuring that you receive the most reliable and up-to-date information available.